गन्ने के हानिकारक जीव व उनका नियन्त्रण
छेदक/बेधक कीट
गन्ने के छेदक/बेधक कीट
हानिकारक जीव |
भूगोलिक विस्तार |
अर्थशास्त्रीय महत्व |
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कंसूआ रोग, काइलो इन्फसकैटेलस स्नैलन | भारत के सारे गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में |
गन्ना उत्पादन में 22-33% कमी और शर्करा पुनःप्राप्ति में 2% की कमी |
पोरि छेदक, काइलो सैक्रिफेगस इंडिकस (कपूर) |
तमिल नाडू, आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, बिहार, उत्तर प्रदेश और हरियाणा |
उत्पादन में 34.9% और शर्करा पुनःप्राप्ति में 1.7 से 3.07% कमी |
शिखर बेधक, सिरपोफेगा एक्सर्पटेलिस |
बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र, तमिल नाडू और आन्ध्र प्रदेश |
उत्पादन में 21 से 37% और शर्करा पुनःप्राप्ति में 0.2 से 4.1% कमी |
स्टाक बेधक, काइलो आउरिसिलियस डुजियोन |
उत्तर प्रदेश, हरियाणा, बिहार और पंजाब |
उत्पादन में 33% और शर्करा पुनःप्राप्ति में 1.7 से 3.07% कमी |
जड़ छेदक, एम्मालोसेरा डिपरेसेला स्विनोह |
बिहार, उत्तर प्रदेश और हरियाणा, पंजाब, गुजरात, आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र |
उत्पादन में 35% और शर्करा पुनःप्राप्ति में 0.3 से 2.9% कमी |
प्लासी छेदक, काइलो टुमिडाइकोस्टेलिस |
पश्चिमी बंगाल, बिहार, आसाम और नागालैंड |
उत्पादन में 8.6 से 12.6% और शर्करा पुनःप्राप्ति में 3.0 से 26.0% कमी |
गुरदासपुर छेदक, एसिगोना स्टेनिएलस (हैम्पसन) |
पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा |
उत्पादन में 5 से 15% और शर्करा पुनःप्राप्ति में 0.1 से 0.8% कमी |
भूमिगत हानिकारक जीव
गन्ने के भूमिगत हानिकारक जीव
हानिकारक जीव |
भूगोलिक विस्तार |
अर्थशास्त्रीय महत्व |
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चींटियां |
करीब 13 स्पीसिस देश के विभिन्न गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में पाई जाती हैं |
उत्पादन में 33% और शर्करा पुनःप्राप्ति में 4.5% तक कमी |
सफेद गिंडार, होलोट्राइकिया सेरेटा और हिटेरोनाइकस स्पीसिस |
कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिल नाडू, बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश |
उत्पादन में 80% और शर्करा पुनःप्राप्ति में 5.0 से 6.0% तक कमी |
चूसक कीट
गन्ने के चूसक कीट
हानिकारक जीव |
भूगोलिक विस्तार |
अर्थशास्त्रीय महत्व |
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पाइरिल्ला, पाइरिल्ला परपुसिल्ला वल्क |
बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और प्रायःद्विपीय भारत |
उत्पादन में 31.6% और शर्करा पुनःप्राप्ति में 2.0 से 3.0% तक कमी |
वूली एफिड, सेरेटोवाकुना लानिगेरा ज़ेन्ट |
आसाम, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश, तमिल नाडू और उत्तर प्रदेश |
उत्पादन में 7 से 39% और शर्करा पुनःप्राप्ति में 1.2 से 4.43% तक कमी |
सफेद मक्खी, एल्युरोलोबस बारोडेंसिस (मास्क) और नियोमस्केलिया बर्जीआइ साइन |
बिहार, गुजरात, हरियाणा, पंजाब और तमिल नाडू |
उत्पादन में 8.6% और शर्करा पुनःप्राप्ति में 1.4 से 1.8% तक कमी |
स्केल कीट, मेलानास्पिस ग्लोमेरेटा ग्रीन |
कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश, तमिल नाडू, बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और हरियाणा |
उत्पादन में 32.6% और शर्करा पुनःप्राप्ति में 1.5 से 2.5% तक कमी |
मीली बग, सैकेरिकोकस सैकेराइ (स्कल) |
सभी गन्ना उत्पादन क्षेत्रों में |
फुटाव में कमी और चीनी उत्पादन में कमी |
एफिड, मेलानाफिस सैकेराइ ज़ेन्ट और मेलानाफिस इन्डोसैकेराइ डेविड |
बहुत कम स्तर पर सभी गन्ना उत्पादन क्षेत्रों में |
गन्ने के मोज़ेइक रोग के लिये शायद वेक्टर का कार्य करता है |
काली कीड़ी, कावेलरियस स्वीटी |
पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार |
उत्पादन में 35% और शर्करा पुनःप्राप्ति में 0.1 से 2.8% तक कमी |
संवर्धन नियन्त्रण
गन्ने के हानिकारक जीवों का संवर्धन नियन्त्रण
हानिकारक जीव |
संवर्धक नियन्त्रण उपाय |
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कन्सूआ |
जल्द रोपाई करें ताकि गर्म महीने टाले जा सकें जब संक्रमण अधिक होता है। फसल के वर्धन की प्रारम्भिक प्रावस्थाओं में मिट्टि चढ़ाना। गन्ने के कचरे/आसार का मल्च के रुप में प्रयोग। गर्मी के महीनों में बार बार सिंचाई। सूखी मध्य में निकल रही पत्तियों को खींचकर निकालें और साईकल की ताडि़ से अन्दर पड़े डिम्ब को मार दें। |
शिखर बेधक |
सभी पांच ब्रूडस के अंडों को समूहिक तौर पर समकालिक तरीके से इकठ्ठा करें। सभी सभी पांच ब्रूडस के ब्रूडस के दौरान डिम्बों को इकठ्ठा कर मारना। शरद ऋतु में गन्ने का रोपण ताकि शिखर बेधक के संक्रमण को कम किया जा सके। पतंगों के निकलने के समय कम सिंचाई। |
पोरी बेधक |
पांचवें, सातवें और नौवें महीने में पत्तियों का हटाना। |
जड़ बेधक |
पहले और दूसरे ब्रूड के निकलनें के समय कुदाली करें और हल्कि मिट्टि चढ़ायें। |
पलासि बेधक |
अंडों के समूहों को इकठ्ठा कर मारना। गन्ने के ऊपर वाले हिस्से को हटाकर नष्ट करना। |
गुरदासपुर बेधक |
झुंड वाली प्रवस्था संक्रमित गन्नों को हटाकर नष्ट करना। |
सफेद मक्खी |
खेत के नीचे हिस्सों से पानी की निकासी का प्रबन्ध ताकि जलप्लावन न हो। नेत्रजन की अधिक मात्रा न डालें। |
रसायनिक नियन्त्रण
गन्ने के हानिकारक जीवों का रसायनिक नियन्त्रण
हानिकारक जीव |
कीटनाशक |
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कंसूआ |
कलोरपाइरिफास 20 ई.सी 5 लिटर/है0 की दर से चक्राकार भाग में डालें |
पोरी बेधक |
रसायनिक नियन्त्रण असान और प्रभावकारी नहीं पाया गया |
शिखर बेधक |
कार्बोफयूरान 3 जी 1 किलोग्राम ए.आई./है0 की दर से, फोरेट 10 जी 3 किलोग्राम ए.आई./है0 की दर से मृदा में डालें |
स्टाक बेधक |
रसायनिक नियन्त्रण असान और प्रभावकारी नहीं पाया गया |
जड़ छेदक |
रसायनिक नियन्त्रण प्रभावकारी नहीं पाया गया |
पलासी छेदक |
कीटनाशी प्रभावी नहीं पाये गये |
गुरदासपुर छेदक |
कीटनाशी प्रभावी नहीं पाये गये |
भूमिगत जीव | |
चींटियां |
कलोरपाइरिफास 20 ई.सी 5 लिटर/है0 की दर से बीज पोरियों को भिगोना; कोन्फिडोर 4 मिलिलिटर /10 लिटर पानी मृदा को गीला करने के लिये |
सफेद गिंडार |
कीटनाशियों को प्रति 100 किलोग्राम खलियान खाद में मिलाकर पहले इनस्टार को मारने के लिये नालियों में डालें; प्रौढ़ों को मारने के लिये कलोरपाइरिफास को मृदा में डालें |
चूसक कीट | |
पाइरिल्ला |
पैरासिटोयडों को बचाने के लिये कीटनाशियों का उपयोग नहीं किया जाता |
वूलि एफिड |
ऐसफेट 75 एस.पी. 2 ग्राम/ लिटर या मोनोक्रोटोफास 36 ई.सी 2 मिलिलिटर/ लिटर या रोगर 30 ई.सी 2 मिलिलिटर/ लिटर का स्थानिक उपयोग आक्रमित कलम्पस पर |
स्केल कीट |
कीटनाशी प्रभावकारी नहीं |
जैविक नियन्त्रण
गन्ने के हानिकारक जीवों का जैविक नियन्त्रण
चूसक हानिकारक जीव |
जैविक कारक |
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पाइरिल्ला |
इपरिकेनिया मेलेनोल्यूका; हिरुसूटेला सिट्रिफोरमिस |
गन्ने का वूली एफिड |
डाइफा एफिडाइवोरा; माइक्रोमस इगोरोटस; एन्कारसिया फलैवोक्यूटेलम |
सफेद मक्खी |
एमिटस मिनरवाय; एन्कारसिया इसासि; एस्चरसोनिया पलेसैंटा |