गन्ने के मुख्य रोग और उनका नियन्त्रण
कवक रोग
गन्ने के कवक रोग
क्रम संख्या | रोग, हेतुक जीव | रोग विस्तार | हानि का स्तर |
1. | लाल सड़न रोग, , Colletotrichum falcatum Went | कर्नाटक और महाराष्ट्र को छोड़कर देश के सभी राज्यों में उपस्थित। रोग का स्तर पूरे पूर्व तट्टीय क्षेत्र, गुजरात, इन्डो- गैन्जेटिक मैदानों और पश्चिमी बंगाल में बहुत तीव्र देखा गया है. | गन्ने का उत्पादन बिलकुल फेल हो जाता है जब रोग तीव्र संक्रामक होता है. |
2. | कंडूआ रोग, Ustilago scitaminea Syd | गन्ना उगाने वाले सारे भारतीय राज्यों में . | तीव्र संक्रामक हालात में 10-25% नुकसान। रटून फसल में अधिक हानि |
3. | विल्ट, Fusarium sacchari, Acremonium spp. | सब क्षेत्रों में उपस्थिति मगर तमिल नाडू, आन्ध्र प्रदेश, महाराष्ट्र इत्यादि के ऊँचे मैदानी इलाकों में रोग की तीव्रता कम होती है. | तीव्र संक्रामक क्षेत्रों में 10-15% नुकसान. |
4. | सैट गलन, Ceratocystis paradoxa (Dade) Moreau | सभी क्षेत्रों में. | रोग के कारण खेत में कमज़ोर फसल |
बैक्टीरियल रोग
गन्ने के बैक्टीरियल रोग
क्रम संख्या | रोग, हेतुक जीव | रोग विस्तार | हानि का स्तर |
1 | लइफसोनिया (कलेविबैक्टर) ज़ाइलि (Leifsonia (Clavibacter) Xyli subsp. Xyli Davis et al.) उपस्पीसिस ज़ाइलि डेविस और सहयोगी | पूरे उपोषणकटबिंधीय क्षेत्र के अलावा कर्नाटक के कुछ भागों में. | गन्ना उत्पादन में 40% तक कमी; रटून में ज़्यादा हानि |
2 | पत्ति जलन रोग ज़ैंथोमोनास एलबिलीनियनस ऐशबई (डौसन) (Xanthomonas albilineans) Ashby(Dowson) |
पूरे उपोषणकटबिंधीय क्षेत्र के अलावा आन्ध्र प्रदेश के कुछ तटवर्ती भागों मे. | स्ंवेदनशील प्रजातियों में गन्ना उत्पादन में 25% तक कमी. |
विशाणु रोग
गन्ने के विशाणु रोग
क्रम संख्या | रोग, हेतुक जीव | रोग विस्तार | हानि का स्तर |
1. | घसैला रोग, फाइटोप्लास्म | गन्ना उगाने वाले सभी क्षेत्रों में पाया जाता है | तीव्र अवस्था में गन्ना उत्पादन में 40% तक कमी; रटून में रोग की तीव्रता अधिक. |
2. | गन्ने का मोज़ैईक विषाणु धारी रोग, सोरघम मोज़ैईक विषाणु | गन्ना उगाने वाले सभी क्षेत्रों में पाया जाता है. | मोज़ैईक संवेदनशील प्रजातियों में 10% तक गन्ना उत्पादन में कमी |
3. | गन्ने का पीली पत्ति विषाणु रोग | गन्ना उगाने वाले सभी क्षेत्रों में पाया जाता है | स्ंवेदनशील प्रजातियों में 10% तक गन्ना उत्पादन में कमी और रटून में अधिक प्रभाव देखा जाता है |
दूसरे रोग
गन्ने के दूसरे रोग
क्रम संख्या. | रोग | हेतुक जीव |
1. | चिपचिपाहट रोग | ज़ैंथोमोनास कमपैस्ट्रिस पीवी. वैस्कुलोरम (कोब्ब) डाइ (Xanthomonas campestris pv. vasculorum (Cobb) Dye) |
2. | पौक्काह बोइंग | जिब्रैला मोनिलीफोर्मिस, फुज़ेरियम मोनिलीफोर्मिस (Gibberella moniliformis, Fusarium moniliformae) |
3. | लाल धारी रोग | लाल धारी स्यूडोमोनस रुबरिलीनिएन्स (ली और सहयोगी) स्टैप्प. (Pseudomonas rubrilineans (Lee et al.) Stapp. |
4. | आंख जैसे धब्बा रोग | बाइपोलैरिस सैकेराइ इ. बटलर (षूमेकर) (Bipolaris sacchariE. Butler (Shoemaker)) |
5. | पत्ति झुल्सा रोग | स्टैगनोस्पोरा सैकेराइ लो और लिंग (Stagnospora sacchari Lo & Ling.) |
6. | छल्लाकार धब्बा रोग | सैप्टोस्फेरिया सैकेराइ वार बीडेड हान (Leptosphaeria sacchari Var Biedade Haan) |
7. | रस्ट | पक्सीनिया मेलानोसेफला, पी. कुहनी (Puccinia melanocephala, P. kuehnii) |
8. | भूरा धब्बा रोग | सरस्पोरा लोंगिपेस (Cerspora longipes) |
9. | भूरी धारी रोग | कोचलियोबोलस स्टैनोफाइलस, हैलमिंथोस्पोरियम स्टैनोफाइलम (Cochliobolus stenophilus, Helminthosporium stenopilum) |
10. | पत्ति धब्बा रोग | करव्यूलेरिया स्पासिस, हैलमिंथोस्पोरियम स्पासिस, पेरिकोनियम स्पीसिस (Curvularia sp., Helminthosporium sp., Periconia sp. |
11 | पीला धब्बा रोग | मइकोवैलासिएल्ला कोएपकई (क्रूगर) डइगथटन (Mycovellociella koepkei (Kruger) Deigthton). |
12 | रिंड रोग (स्टाक गलन) | फियोसाइटोस्ट्रोमा सैकेराइ (एल्ल. और एव.) बी. स्टन (Phaeocytostroma sacchari (Ell.& Ev.) B. Sutton) |
रोगों का नियन्त्रण
गन्ने के रोगों का नियन्त्रण
संवर्धन नियन्त्रक
- प्रतिरोधि प्रजातियां
रोग प्रतिरोधि प्रजातियों को लगाकर गन्ने के मुख्य रोगों जैसेकि लाल सड़न रोग, कुडूआ रोग और विल्ट का प्रबन्धन बड़े प्रभावी ढंग से किया जा सकता है। रोग प्रतिरोधि प्रजातियों को विकसित करने के लिये विशिष्ट रोग प्रतिरोधि कार्यक्रमों को कोयम्बत्तूर और अ.भा.स.अनु.प. केन्द्रों में सक्रियता से कार्य चल रहा है।.
- सस्य विज्ञानिक विधियां
खेती के लिये स्वस्थ बीज
गर्म उपचार- गन्ने के सैट्स को वातित भाप से 50oC पर 1-3 घंटे तक उपचारित कर उससे फसल उगाने पर घसैला शाखा रोग और रटून-स्टंटिंग रोग से बचा जा सकता है। कंडूआ रोग से संक्रमित गन्ने के सैट्स को गर्म पानी में काब्रेंडाजि़म के 0.1% घोल से 30 मिन्ट के लिये 52oC पर उपचारित करने से कवक को निष्क्रिय किया जा सकता है।
गर्म उपचार- गन्ने के सैट्स को वातित भाप से 50oC पर 1-3 घंटे तक उपचारित कर उससे फसल उगाने पर घसैला शाखा रोग और रटून-स्टंटिंग रोग से बचा जा सकता है। कंडूआ रोग से संक्रमित गन्ने के सैट्स को गर्म पानी में काब्रेंडाजि़म के 0.1% घोल से 30 मिन्ट के लिये 52oC पर उपचारित करने से कवक को निष्क्रिय किया जा सकता है।
रसायनिक नियन्त्रण
लाल सड़न रोग - गन्ने के सैट्स को थायोफेनेट मिथाइल संयोजकों को 0.2% सान्द्रता से उपचारित करने से रोगाणुओं के प्रभाव को नियन्त्रित किया जा सकता है।
कंडूआ रोग - गन्ने केसैट्स को कवकनाषी की 0.1% सान्द्रता में डुबो कर वातित भाप से 50o C पर 2 घंटे तक उपचारित कर इस रोग से बच सकते हैं।
जैविक नियन्त्रण
गन्ने के बीज जनित र्पाधों की नर्सरी के संवर्धन मृदा में ट्राइकोडर्मा विरिडे (Trichoderma viride)को मिलाने से पिथियम जड़ गलन संक्रमण से बचा जा सकता है।